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Dunia: Bhopal: Thursday, 30 October 2014.
सूचना
का अधिकार में दस्तावेज की मांग करने वालों को लोक सूचना अधिकारी 'नहीं मिल रही फाइल" कहकर नहीं टरका सकते। ऐसे
में लोक सूचना अधिकारी सहित फाइल रखने वालों पर भी गाज गिरेगी। ऐसे मामलों पर
गंभीर कार्रवाई करते हुए राज्य सूचना आयोग ने लोक सूचना अधिकारी पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है। मामला आरटीआई आवेदन सात
माह तक दबाकर रखने का था।
आयोग
ने तय किया है कि टरकाने के ऐसे बहानों पर सूचना अधिकारी के साथ जानकारी नहीं देने
वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। मामला बिरसा जनपद पंचायत, बालाघाट का है,
जहां तत्कालीन कार्यपालन
अधिकारी एके त्रिपाठी ने आवेदक को सात माह तक सूचना से वंचित रखा। इस मामले की
जांच जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने की थी। जांच हुई तो पता चला कि
आरोपी अधिकारी ने शिकायतकर्ता से शुल्क जमा करने की मांग कर डाली थी जबकि
नियमानुसार यदि समयसीमा में जानकारी मुहैया नहीं कराई जाती है तो अपील करने वाले
को बिना शुल्क जानकारी देनी होती है।
प्रकरण
में लोक सूचना अधिकारी ने 1
लाख 14 हजार 100
रुपए जमा करने का पत्र
लिखा था। लोक सूचना अधिकारी ने जवाब में बताया कि उन्हें संबंधित शाखा से जानकारी
ही नहीं मिली, इसकी वजह से सूचना देने में
देरी हुई। बाद में पंचायत एवं समाज शिक्षा संगठक को सूचना मुहैया करा दी गई थीं।
राज्य सूचना आयोग ने आरोपी अधिकारी के इस जवाब को खारिज कर दिया।
राज्य
सूचना आयुक्त हीरालाल त्रिवेदी ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए अधिकारी को कानून की
मंशा के खिलाफ मनमाने ढंग से काम करने का दोषी पाते हुए 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा है। साथ ही जिला पंचायत के
मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि वे त्रिपाठी के वेतन से तीन
किस्तों में राशि काटकर आयोग के कार्यालय में जमा कराएं। क्या था मामला आवेदक
अब्दुल नईम ने सितंबर 2009
में लोक सूचना अधिकारी
मुख्य कार्यपालन अधिकारी बिरसा जनपद पंचायत के यहां पांच बिन्दुओं पर जानकारी चाही
थी। आवेदन पर सात माह बाद कार्रवाई शुरू की गई। जबकि, नियम आवेदन प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर कार्रवाई करने का है।