Saturday, September 27, 2014

18 साल की सूचना 30 दिन में कैसे दें?

अमर उजाला: शिमला: Saturday, 27 September 2014.
प्रदेश सूचना आयोग ने लगभग 54 हजार लोगों से जुड़ी सूचना को एक अपीलकर्ता को देने से इनकार कर दिया है। आयोग ने यह निर्णय एक आवेदक की 18 अपीलों का एक साथ निपटारा करते हुए सुनाया है। इसी के साथ आयोग ने सभी अपीलों को भी खारिज कर दिया है। राज्य सूचना आयुक्त केडी बातिश की अदालत के समक्ष राजेश कुमार शर्मा पुत्र उमराव शर्मा निवासी दिल्ली की तरफ से 18 अपीलें दायर की गईं।
इन सभी अपीलों पर एक सिंगल ऑर्डर से निर्णय हुआ। अपीलकर्ता ने तहसीलदार मंडी सदर के समक्ष 18 वर्षों की सूचना लेने के लिए इतनी ही आरटीआई दरख्वास्तें दी थीं। यह सूचना प्रत्येक साल में हुई कुल सेल डीड्स पर मांगी गई। प्रत्येक विक्रेता और क्रेता के कृषक प्रमाणपत्र की प्रतियां भी अटैच करने को कहा गया।
आवेदक को मंडी सदर के तहसीलदार ने सूचित किया कि यह जानकारी बहुत ज्यादा मांगी गई है। 18 साल की यह सूचना एक साथ 30 दिन के समय में नहीं दी जा सकती है। कम से कम 54 हजार थर्ड पार्टियों से इस पर कमेंट लिए जाने जरूरी हैं।
आरटीआई के दुरुपयोग का मामला है यह:
वर्तमान मामला आरटीआई एक्ट के दुरुपयोग का है। सूचना को लेने में कोई अरजेंसी नहीं है। इसका मकसद विवाद को लंबा खींचना लगता है। ऐसा प्रतीत होता है कि बिना बताए कारणों से इसके लिए पब्लिक अथारिटी को निशाना बनाया जाया जा रहा है।
आयोग ने इसे आरटीआई के दुरुपयोग का मामला करार देते हुए कहा कि सिविल और आपराधिक मामलों की छानबीन संवैधानिक इकाइयों का काम है। एक नागरिक को अन्य नागरिकों के मामलों की छानबीन का कोई अधिकार नहीं है।