Tuesday, March 26, 2013

दिल्ली: 5 साल, 18 अस्पताल, 50 हजार मासूमों की मौत

आईबीएन-7: नई दिल्ली: Tuesday, March 26, 2013.
पिछले साल 16 दिसंबर को एक लड़की के साथ चलती बस में हुए गैंगरेप ने दिल्ली को ही नहीं बल्कि देश को दहला दिया। देश ने देखा जनता का आक्रोश। लेकिन क्या इसके बाद क्या दिल्ली बदली। आईबीएन7 की मुहिम नई दिल्ली बनाओ जारी है।
दरअसल आईबीएन7 के पास मौजूद है वो दस्तावेज जिससे साबित होता है कि कैसे दिल्ली में मासूम बच्चों की जिंदगी उन सरकारी अस्पतालों में गई जहां वो बेहतर इलाज के लिए गए थे। RTI के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली के 18 सरकारी अस्पतालों में 5 साल में 50 हजार बच्चों की मौत हुई है, ये बच्चे पैदा होने के तुरंत बाद से लेकर 5 साल तक की उम्र के थे। अस्पतालों की इस फेहरिस्त में कुछ केंद्र सरकार के हैं, कुछ दिल्ली सरकार के और कुछ नगर निगम के। इनके नाम सुनकर आप चौंक जाएंगे, क्योंकि दिल्ली ही नहीं देश के दूसरे शहरों से भी लोग अपने बच्चों का इलाज कराने के लिए इन अस्पतालों तक आते हैं।
बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलना इस देश के लोगों के लिए अब भी सपना ही है। अगर आप महंगे इलाज का खर्चा नहीं उठा सकते। अगर आप प्राइवेट अस्पतालों का बिल नहीं भर सकते तो सिर्फ और सिर्फ सरकारी अस्पताल ही इलाज की एकमात्र जगह है। लेकिन इन सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत का आंकड़ा कितना भयानक है आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। पिछले 5 सालों में कलावती सरन अस्पताल में 10,785 बच्चों की मौत हो चुकी है। सफदरजंग अस्पताल में 8,208 बच्चों की मौत। बाबा साहब अंबेडकर अस्पताल में 8,552 बच्चों की मौत। चाचा नेहरू अस्पताल में 4,543 बच्चों की मौत। गुरु तेग बहादुर अस्पताल में 2,859 बच्चों की मौत। लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल में 2,218 बच्चों की मौत। इसके अलावा कस्तूरबा अस्पताल में 1,659 बच्चे, बाड़ा हिन्दूराव अस्पताल में 1650 बच्चे, राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 854 बच्चे, एम्स में 288 बच्चे, बाबू जमगजीवन राम अस्पताल में 377 बच्चे, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में 748 बच्चे, स्वामी दयानन्द अस्पताल में 1670, संजय गांधी अस्पताल में 1,422 बच्चे, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में 2500 बच्चे, दारापुर अस्पताल में 681 बच्चे, अरुणा आसिफ अली अस्पताल में 550 बच्चे और हेडगेवार अस्पताल में 382 बच्चे।
यानि 18 अस्पतालों में 49 हजार 946 बच्चों की मौत। ये जानकारी इन्हीं अस्पतालों से RTI के जरिए निकलवाई गई है। ध्यान देने वाली बात ये है कि दिल्ली के इन 18 सरकारी अस्पतालों में शहर के सिर्फ 20 फीसदी बच्चे ही इलाज के लिए गए थे। 50 हजार के आंकड़े में दिल्ली के बाकी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को नहीं जोड़ा गया है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर सारे अस्पतालों को मिला दिया जाए तो आंकड़ा कितना भयानक होगा। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में दिल्ली में 17,50,000 बच्चे पैदा हुए। 1 दिन से लेकर 5 साल के बच्चों की राष्ट्रीय मृत्यु दर है करीब 6 फीसदी। इस आधार पर पिछले 5 सालों में 1,05,000 बच्चों की मौत दिल्ली में होनी चाहिए। इनमें से करीब आधे यानि 50,000 बच्चों की मौत केवल 18 अस्पताल में ही हुई है।
यानि सरकार के तमाम दावे दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं। हैरानी ये कि अस्पतालों में मौत के इन आंकड़ों के बारे में खुद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को पता नहीं है।