दैनिक भास्कर: जयपुर: Wednesday,
May 17, 2017.
शिक्षा
का अधिकार कानून के तहत प्रवेश के मामले में पिछले साल भी गड़बड़ी सामने आई थी।
सोमवार को शिक्षा संकुल स्थित जिला शिक्षा अधिकारी प्रथम कार्यालय में एसीबी ने
आरटीई में फर्जी प्रवेश को लेकर छापा मारा था। लेकिन पिछले साल प्रदेश के ग्रामीण
इलाकों के साढ़े तीन हजार निजी स्कूलों में नॉन आरटीई में फर्जी प्रवेश के मामले
सामने आए थे।
निजी
स्कूल संचालकों ने चालाकी दिखाते हुए आरटीई की पुनर्भरण राशि के लिए नॉन आरटीई में
फर्जी प्रवेश कर लिए थे। शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों में हुए प्रवेशों को संदेह के
दायरे में मानते हुए जांच के आदेश दिए थे। जांच के दौरान कई स्कूलों में नॉन आरटीई
में प्रवेश की गड़बड़ी सही पाई गई। अभी तक इन स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
की गई है। हालांकि इन स्कूलों को पुनर्भरण राशि का भुगतान विभाग ने रोक रखा है।
पिछले
सत्र 2015-16 में शिक्षा विभाग ने आरटीई के
भौतिक सत्यापन का काम प्रारंभ किया तो सामने आया कि कई स्कूलों में पिछले सत्र में
आरटीई के तहत निशुल्क प्रवेश पाने वाले बच्चों की संख्या मे तो कोई कमी नहीं आई, लेकिन नॉन आरटीई के बच्चों की संख्या कम हो गई।
विभाग
को संदेह था कि पिछले सत्र में नॉन आरटीई में प्रवेश हुए ही नहीं थे और केवल
कागजों में ही प्रवेश दिखाए गए थे। इसके बाद विभाग ने ऐसे स्कूलों की फिर से जांच
के आदेश दिए थे। जांच पूरी होने तक इन स्कूलों की पुनर्भरण राशि के भुगतान पर भी
रोक लगा दी गई थी। आरटीई के तहत एंट्री कक्षा में निजी स्कूल की कुल सीटों में से 25 फीसदी पर निशुल्क प्रवेश का प्रावधान है।
विभाग
ने इसके लिए एक फॉर्मूला अपना रखा है कि 3 नॉन आरटीई प्रवेश पर 1 आरटीई का प्रवेश मान्य किया जाए। सत्र 2014-15 में ऐसे स्कूलों में इस फॉर्मूले के आधार पर आरटीई
और नॉन आरटीई का अनुपात मेंटेन कर लिया। लेकिन सत्र 2015-16 में नॉन आरटीई के नाम स्कूल से हटा दिए। इससे अनुपात
बिगड़ गया। इसके बाद विभाग ने जांच का निर्णय लिया।
इन
बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए विभाग ने की थी जांच:
- जिन स्कूलों में सत्र 2015-16 में एंट्री कक्षा में निशुल्क सीटों पर 20 से अधिक प्रवेश दिए हैं। विभाग का मुख्य फोकस ग्रामीण इलाकों की स्कूलों पर हैं।
- जिन स्कूलों में सत्र 2014-15 में एंट्री कक्षा में प्रवेशित बालकों में सत्र 2015-16 में आरटीई व नॉन आरटीई में प्रवेशित बच्चों का अनुपात कम होकर 1:3 के स्थान पर 1:2 या इससे भी कम रह गया हो।
- ग्रामीण क्षेत्र के जिन स्कूलों में 2015-16 में एंट्री कक्षा की फीस 7200 रुपए वार्षिक से अधिक हो।
इस प्रकार मिलती है पुनर्भरण
राशि:
सरकार
एक बच्चे पर होने वाले खर्च को पुनर्भरण राशि के योग्य मानता है। हर साल यह राशि
अलग अलग होती है। सरकार की ओर से तय पुनर्भरण राशि या स्कूल की फीस में जो कम होता
है। स्कूल को उसी का भुगतान किया जाता है। ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में फीस में
बेतहाशा बढ़ोतरी कर दी गई। जिससे विभाग को संदेह हुआ। इसके बाद 7200 सालाना फीस वाले स्कूलों को जांच के दायरे में लिया
गया।