नवभारत टाइम्स: मुबंई: Monday, July 27, 2015.
पूर्व
मुख्यमंत्री ओर एनसीपी नेता अजित पवार के करप्शन के खिलाफ चल रही ऐंटि करप्शन
ब्यूरो की जांच में अजित पवार को पेशी से छूट किस आधार पर दी गई है? यह सावल की एक आरटीआई अर्जी पिछले एक महीने से मुंबई, महाराष्ट्र और ठाणे डिवीजनों में दर-दर भटक रही है, लेकिन इस सवाल का जवाब कोई नहीं दे रहा।
कांग्रेस-एनसीपी
के शासन काल में महाराष्ट्र में हुए सिंचाई घोटाले में अजित पवार की भूमिका की
जांच ऐंटि करप्शन ब्यूरो कर रहा है। ऐंटि करप्शन ब्यूरो के चार बार बुलाने पर भी
अजित पवार ब्यूरो के समक्ष पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए हैं। आरटीआई की अर्जी में
ब्यूरो से पूछा गया है कि किस कानून के तहत अजित पवार को पेशी से छूट दी गई है? आरटीआई अर्जी में यह भी पूछा गया है कि क्या अजित
पवार ने निजी पेशी से छूट की मांग की थी। 15 जून को मुंबई डिविजन में दायर
की गई इस अर्जी का पहला जवाब आवेदनकर्ता को 23 जून को मिला जिसमें यह कहा
गया कि उनका सवाल महाराष्ट्र डिविजन से संबंधित है इसलिए उनकी अर्जी को वहां भेजा
रहा है। 26 जून को महाराष्ट्र डिविजन ने
आवेदनकर्ता जितेंद्र घाटगे को सूचित किया कि अजित पवार के खिलाफ केस ठाणे डिविजन
में दर्ज है इसलिए उनकी अर्जी को ठाणे भेजा जा रहा है। इसके बाद 2 जुलाई को ठाणे डिविजन ने इस अर्जी को यह कहते हुए
वापस महाराष्ट्र डिविजन भेज दिया है कि यह मामला ठाणे डिविजन से संबंधित नहीं है।
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ 9 जुलाई को महाराष्ट्र डिविजन
ने वापस एक बार इस आरटीआई अर्जी को इस टिप्पणी के साथ ठाणे डिविजन भेज दिया है कि
मामला ठाणे डिविजन में ही दर्ज है।
आरटीआई
आवेदक का कहना है कि चूंकि मामला एक हाई प्रोफाइल नेता से संबंधित है इसलिए ऐंटि
करप्शन ब्यूरो सही जानकारी देने के बजाए अर्जी को यहां से वहां भेजकर टाइम पास कर
रहा है।