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Hindi: Lucknow: Monday, 26 January 2015.
उत्तर
प्रदेश को कुपोषण से मुक्त बनाने के लिए उप्र सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे
हैं। प्रदेश में राज्य पोषण मिशन के तहत जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक पदार्थ
पहुंचाने के अखिलेश सरकार के दावे हकीकत से बिल्कुल विपरीत हैं। यह खुलासा सूचना
के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत हुआ है।
सामाजिक
कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने आरटीआई के तहत यह जानने की कोशिश की थी कि प्रदेश में
कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या कितनी है। बाल विकास पुष्टाहार विभाग ने जो जवाब
दिया है वह वाकई चौंकाने वाला है।
उर्वशी
ने बताया कि प्रदेश के बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय ने आरटीआई के जबाब
में बताया है कि मायावती का कार्यकाल रहा हो या अखिलेश सरकार का, पिछले पांच वर्षो के दौरान प्रदेश सरकार ने कुपोषण के
संबंध में कोई भी अध्ययन या सर्वेक्षण नहीं कराया है, जिससे यह बात सामने आ सके कि प्रदेश में कुपोषण के
शिकार लोगों की संख्या कितनी है।
क्या-क्या
निकला आरटीआई के जवाब में:
· बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय के पास पिछले
पांच सालों में कुपोषण की समस्या से ग्रसित पुरुषों, महिलाओं, किन्नरों,
बालकों, बालिकाओं और शिशुओं की संख्या की कोई भी सूचना नहीं
है।
· कुपोषित पुरुषों, महिलाओं, किन्नरों,
बालकों, बालिकाओं और शिशुओं की संख्या की कोई सूचना भी नहीं
है। आखिर किस आधार पर अखिलेश ने राज्य पोषण मिशन के शुभारंभ पर जरूरतमंद लोगों तक
पौष्टिक पदार्थ पहुंचाने का दावा किया।
· जब आंकड़े नहीं हैं तो कैसे इस मिशन से सूबे की एक
लाख महिलाओं को जोड़े जाने का दावा किया गया।
उल्लेखनीय
है कि हाल ही में अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास 5, कालिदास
मार्ग पर भारी सरकारी तामझाम और चमक-दमक के साथ आयोजित कार्यक्रम में बाल विकास
पुष्टाहार मंत्री की उपस्थिति में कुपोषण के खिलाफ राज्य पोषण मिशन का शुभारंभ
किया था। अखिलेश ने बताया था कि राज्य पोषण मिशन के तहत उनका लक्ष्य जरूरतमंद
लोगों तक पौष्टिक पदार्थ पहुंचाना और इस मिशन से सूबे की एक लाख महिलाओं को जोड़ना
है।