Friday, October 31, 2014

एसीबी को आरटीआई से बाहर करने का फैसला वापस

नवभारत टाइम्स: मुंबई: Friday, 31 October 2014.
महाराष्ट्र के राज्यपाल सी एच विद्यासागर राव ने गुरुवार को पिछली सरकार के उस फैसले को वापस ले लिया है , जिसमें ऐंटि करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी को आरटीआई से बाहर करने का आदेश दिया गया था। खास बात यह है कि राज्यपाल का आदेश वापसी का यह फैसला नई सरकार के शपथग्रहण समारोह के ठीक एक दिन पहले लिया गया है। आरटीआई कार्यकर्ताओं और कानून विशेषज्ञों ने इस फैसले का स्वागत किया है। एनबीटी से 23 अक्टूबर को सबसे पहले यह खबर प्रकाशित की थी।
पिछली सरकार ने चुनाव के ठीक पहले एसीबी को आरटीआई से बाहर कर दिया था। इस संबंध में 6 सितंबर को नोटिफेशन निकाला गया था, जबकि 12 सितंबर को महाराष्ट्र में आचार संहिता लगाई गई थी। माना गया था कि पिछली सरकार का यह फैसला कई उन राजनेताओं की साख बचाने के मकसद से किया गया था, जिनके खिलाफ एसीबी ने अपनी जांच शुरू कर दी थी।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राज्यपाल के गुरुवार के फैसले का स्वागत किया है। नामी ऐडवोकेट वाई पी सिंह ने भी राज्यपाल के इस फैसले को सही ठहराया है। सिंह ने कहा कि यह अपने में अजीब बात थी कि जब पुलिस आरटीआई के दायरे में है, तो पुलिस से ही जुड़ी एसीबी को आरटीआई के दायरे से कैसे बाहर किया जा सकता है। जब एनबीटी ने सवाल किया कि नई सरकार के शपथग्रहण समारोह से ठीक पहले पिछली सरकार के फैसले को राज्यपाल द्वारा बदलने का क्या मतलब निकाला जाए, तो वाई पी सिंह ने कहा कि चूंकि महाराष्ट्र में राज्यपाल का ही इन दिनों शासन है, तो राज्यपाल को यह पॉवर है कि वह किसी भी गलत फैसले को बदल दे। सिंह कहते हैं कि चूंकि किसी ने पिछली सरकार के इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में भी चुनौती दी थी, इसलिए भी संभव है कि राज्यपाल ने नई सरकार के इंतजार से पहले यह फैसला कर लिया।