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Dunia: Jaipur: Tuesday, 30 September 2014.
पूरे
देश में सूचना के अधिकार कानून को सबसे पहले लागू करने वाले राजस्थान में इन दिनों
इस कानून का पालन नहीं हो पा रहा है। राज्य में सिर्फ एक सूचना आयुक्त काम कर रहा
है और सूचना आयोग में आने वाली दूसरी अपील के लगभग 16 हजार
आवेदन लंबित हो गए हैं। अपील की सुनवाई के लिए लोगों को जनवरी 2016 तक की तारीख दी जा रही है।
यह
स्थिति तो तब है, जबकि सरकार के पास सूचना
आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए 118
लोगों ने आवेदन किया हुआ
है और हाई कोर्ट ने सरकार को सूचना आयुक्तों के रिक्त पद भरने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया था। यह समय सीमा खत्म होने के
सवा महीने बाद भी प्रदेश में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का काम नहीं हो पाया है।
राजस्थान
देश में पहला राज्य था, जिसने सूचना का अधिकार कानून
लागू किया था, लेकिन सूचना आयुक्तों की
नियुक्ति के मामले में यहां हालत बहुत खराब है। राज्य में दस सूचना आयुक्त हो सकते
हैं। लगभग तीन चार साल से यहां एक ही सूचना आयुक्त टी. श्रीनिवासन काम कर रहे
हैं।सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के बारे में सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों के
कारण उन्होंने छह माह से ज्यादा समय तक काम नहीं किया। इससे अपीलों की संख्या बहुत
बढ़ गई। अब वापस काम शुरू तो हो गया,
लेकिन दूसरे सूचना
आयुक्त नहीं होने के कारण अपीलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है।
समय
सीमा तय नहीं:
दरअसल
सूचना के अधिकार कानून के तहत पहली अपील में तो एक माह में सुनवाई का प्रावधान है, लेकिन दूसरी अपील जो सूचना आयुक्त के यहां होती है, वहां सुनवाई के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं है।
ऐसे में अपीलों की सुनवाई पर डेढ़ साल तक का समय दिया जा रहा है। जानकारों का कहना
है कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में कोई बड़ी समस्या भी नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री, विधानसभा
अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट
मंत्री की समिति इनका चयन करती है।