Tuesday, August 26, 2014

सरकारी विभाग उड़ा रहे आरटीआई का मखौल

राजस्थान पत्रिका: गुना: Tuesday, 26 August 2014.
सूचना का अधिकार देकर सरकार भले ही जनता के हाथ में एक मजबूत हथियार होने का दंभ भरे, लेकिन हकीकत कुछ अलग ही है। क्योंकि सरकारी विभागों में जब भी कोई आवेदक आरटीआई के तहत जानकारी मांगता है, तो सिवाए अपील में जाने के दूसरा विकल्प नहीं बचता है। इसकी वजह विभागों द्वारा आवेदक को जानकारी उपलब्ध न कराना है। पत्रिका ने कुछ ऎसे ही आवेदकों से चर्चा की,तो दर्द उभरकर सामने आ गया। इसमें किसी आवेदक को जानकारी न मिलने पर वर्षो से पेंशन प्रकरण अटका है, तो कहीं चार-चार अपील और अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। हद तो यह कि राज्य सूचना आयोग की लोक अदालतों के माध्यम से समझौते की कोशिशों पर भी विभाग पानी फेरते हुए आरटीआई को मखौल बनाने से नहीं चूक रहे हैं।
सरकारी विभागों से सूचना के बोर्ड गायब:
सूचना का अधिकार अधिनियम की जानकारी आमजन को हो सके, इसके लिए सरकारी कार्यालयों के बाहर आरटीआई के बोर्ड चस्पा किए गए थे। लेकिन पत्रिका ने जब विभागों का जायजा लिया,तो ज्यादातर महत्वपूर्ण विभागों के बाहर सूचना का अधिकार की जानकारी देते बोर्ड गायब ही मिले। इनमें कुछ विभाग तो ऎसे भी हैं, जो आवेदक को जानकारी एक्ट के दायरे में न होने का हवाला देकर भगा देते हैं। इधर आवेदक जानकारी न मिलने से अपील और चक्कर काटने मजबूर हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आरटीआई को लेकर सरकारी विभाग कितने गंभीर हैं!
आयोग का भी खौफ नहीं:
पिछली सरकार में मप्र राज्य सूचना आयोग के सक्रिय न रह पाने से हजारों की संख्या में अपील सुनवाई के लिए लंबित रहीं, लेकिन वर्तमान सरकार ने अब आयोग को सक्रिय बना दिया है। इसके साथ ही न केवल अपीलों की सुनवाई शुरू हुई है, बल्कि लोक अदालतों के माध्यम से सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के प्रकरणों का लोक अदालत के माध्यम से समझौता कराने की कोशिश भी हुई। इसी क्रम में दो अगस्त को ग्वालियर में लोक अदालत लगाकर प्रकरणों में समझौता कराया गया। लेकिन जिले से ज्यादातर विभागों ने समझौता में रूचि न दिखाते हुए लोक अदालत से दूरी बनाए रखी। इसका खुलासा भी खुद आवेदकों द्वारा किया गया है।
मामला-1: शिक्षा विभाग, 22 वर्षो से अटका पेंशन प्रकरण
सेवानिवृत्त लेखापाल पुरूषोत्तम पाराशर की सेवा पुस्तिका का प्रकरण लंबित है। इसका कारण जानने आरटीआई के माध्यम से सात जुलाई महीने में शिक्षा विभाग से जानकारी चाही गई, जो समय सीमा में उपलब्ध नहीं कराई गई। इससे पेंशन प्रकरण का 22 वर्ष बाद भी निराकरण नहीं हो सका है। इसके बाद अपीलार्थी व पेंशनर संघ के सचिव घनश्याम श्रीवास्तव ने 19 अगस्त को जिला पंचायत सीईओ को अपील की गई।
मामला-2: खाद्य विभाग, चार अपील के बाद भी जानकारी नहीं
नैतिक विकास उन्मूलन समिति अध्यक्ष दिनेश सूद ने खाद्य विभाग में एक मई को आरटीआई से वर्ष 2013-14 में गैस गोदामों के निरीक्षण, जालमपुर राशन की दुकान से पुलिस वाहन में दो क्विंटल शकर अवैध रूप से परिवहन में कायम प्रकरण की छायाप्रति आदि जानकारी मांगी। लेकिन समय सीमा में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके अलावा उन्होंने एक साल में चार आवेदन लगाए, जिनमें अपील में जाना पड़ा और अधिकारी के आदेश के बाद भी जानकारी नहीं दी गई।
मामला-3: शिक्षा विभाग, समझौता में भी नहीं दिखाई रूचि
सेवानिवृत्त प्राचार्य घनश्याम श्रीवास्तव ने छह अगस्त को डीईओ आफिस में सूचना का अधिकार के माध्यम से वर्ष 2012-13 में सेवानिवृत्त प्राचार्य, बीईओ के रिटायरमेंट के समय कार्यालय द्वारा जारी अर्जित अवकाश के नकद भुगतान की जानकारी चाही गई। इसी क्रम में राज्य सूचना आयोग ने लोक अदालत के माध्यम से समझौते की कार्रवाई की, लेकिन दो अगस्त को ग्वालियर में लगी लोक अदालत में डीईओ की अनुपस्थिति के चलते समझौता नहीं हो सका।
मामला-4: तहसील, छह महीने से काट रहे चक्कर
तहसील से बिलौनिया हल्का में कार्यरत पटवारी द्वारा दिए गए आवासीय पट्टे, सेवा अभिलेख और शासन को दी जाने वाली चल-अचल संपत्ति की जानकारी के लिए वीरेंद्र शर्मा ने 28 फरवरी को तहसील में आवेदन लगाया। जानकारी न मिलने पर नौ अपै्रल को एसडीएम को अपील की गई, जहां से दो महीने बाद हुए आदेश के बाद भी जानकारी न मिलने पर आवेदक अब तक तहसील के चक्कर काटने मजबूर है।